चारधाम यात्रा ट्रेवल टिप्स, All you need to know about chardham 2020

chardham yatra 2020 tour package by helicopter

चारधाम यात्रा २०२०: बिस्तृत यात्रा बिश्लेषण एंड ट्रेवल टिप्स (Chardham Yatra 2020 Travel Tips)

चारधाम यात्रा - आत्मा से परमात्मा का मेल और मोक्ष का प्रवेश द्वार :

chardham by helicopter

हिन्दू धर्म में चार-धाम यात्रा (chardham 2020)  का बहुत अधिक महत्व है, यह देश की प्राचीन संस्कृति  व परंपरा को दर्शाती  है। यह यात्रा आपको आध्यात्मिकता से भी जोड़कर रखती है, और हिमालय  की  सुंदरता को निहारने का भी अवसर प्रदान  करती है। जीवन भर के पापों को धोकर मोक्ष का द्वार खोलती है चार-धाम यात्रा।

मुख्य रूप से भारत के प्रमुख चार-धाम बद्रीनाथ (उत्तर), द्वारका (पश्चिम), जगन्नाथ पुरी (पूर्व ), रामेश्वरम (दक्षिण) दिशा में स्तिथ है। चार धाम ८वी -९वी  सदी  के आदिगुरु  शंकराचार्य द्वारा  परिभाषित वैष्णव तीर्थ है , उनकी धर्म  प्रसार यात्रा  के द्वारा ही चार-धाम यात्रा  की  शुरुआत 

हुई थी। जीवन-मृत्यु  के बंधन से छूटकर मुक्ति प्राप्त  करने की यह धार्मिक यात्रा  आत्मा  को परमात्मा  से जोड़कर रखती है।

हिमालय के चार धाम (छोटा धाम), चारधाम ऑफ़ गढवाल

“हिमालय पर्वत  है महानजहां विराजे शंकर भगवान” 

 

chardham 2020उत्तराखंड राज्य  जसे देवभूम भी कहा जाता है, चार-धाम यात्रा में  वशेष महत्व रखता है, यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी धार्मिक आस्था  लेकर आते है। हिमालय  पर्वत श्रेणी के  गोद में  बसे चार धाम बद्रीनाथ , केदारनाथ, यमुनोत्री  और गंगोत्री (जिन्हे छोटा चार धाम भी कहा जाता है) अत्यधिक  रमणीय और दार्शनिक  स्थल  है । इन चार धार्मिक स्थलों को ही हिन्दू धर्म में पवित्र  माना गया है। 

 

२६ अप्रैल , अक्षय तृतीया के दिन  गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर  के कपाट खुलने के साथ ही चार-धाम यात्रा (chardham 2020) शुरू हो जाएगी। केदारनाथ एवं बद्रीनाथ  के कपाट २९ व ३०अप्रैल को खोले जाएंगे। 

गंगोत्री , यमुनोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम की यात्रा को सुगम बनाने के लए प्रशाशनिक स्तर पर भी तैयारी हो रही है। इन सभी धामों में  हर साल चारधाम यात्रा केवल गर्मियों के महीने में  होती है और शीतकाल में  यहाँ सभी धाम के कपाट बंद रहते ह।

देवभूमि (उत्तराखंड) के इन चार तीर्थ स्थलों पर आप कैसे पहुँच सकते है एवं यात्रा के दौरान कौन-कौन सी सावधानिया आपको बरतनी चाहिए , जानिए ।।। chardham 2020

चारधाम का पहला पड़ाव यमुनोत्री

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उत्तरकाशी  जिले में समुंद्रतल  से ३२३५ मीटर की  ऊंचाई पर स्तिथ  यमुनोत्री मंदिर  देवी यमुना को समर्पित है। पहाड़ी शैली में  बना यह मंदिर चार-धाम यात्रा  का पहला पड़ाव है। यमुनोत्री मंदिर के आसपास गरम पानी के कुंड यात्रिओ के लए आकर्षण का केंद्र है।

हवाई मार्ग  – देहरादून  जॉलीग्रांट एयरपोर्ट  (२१० किलो मीटर ) 

रेल मार्ग – देहरादून रेलवे स्टेशन  (१७५ किलो मीटर) 

सड़क मार्ग- हरिद्वार  से यमुनोत्री  (२२१ किलो मीटर )

चारधाम का दूसरा पड़ाव गंगोत्री

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उत्तरकाशी से १०० किलो मीटर की दूरी पर समुतल से ३०४२ मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ गंगोत्री मंदिर  चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव है।१८ किलोमीटर की दूरी पर गोमुख ग्लेशियर  गंगा का प्राकृतिक स्त्रोत  है। पौराणक मान्यता  के अनुसार इसी स्थान पर देवी गंगा ने शिव की  कृपा से धरती का स्पर्श किया था।

हवाई मार्ग  – देहरादून  जॉलीग्रांट एयरपोर्ट  (२२६ किलो मीटर ) 

रेल मार्ग  – हरिद्वार रेलवे स्टेशन   (२५१ किलो मीटर) 

सड़क माग – यमुनोत्री से गंगोत्री  (२२० किलो मीटर)

चारधाम का तीसरा पड़ाव केदारनाथ

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समुंद्रतल से ३५९३ मीटर की  ऊंचाई पर स्तिथ  केदारनाथ मंदिर  चार-धाम यात्रा का तीसरा पड़ाव है। उत्तराखंड  के रुद्रप्रयाग  जिले में स्तिथ  केदारनाथ मंदिर पंच केदार में  से एक है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों में भी सम्मिलित  है। यह धाम भगवान शिव को समर्पित  है। केदारनाथ धाम के लिए  मोटर मार्ग  गौरीकुंड  तक जाता है, जहां से १८ किलोमीटर  क दूरी  तय करके केदारनाथ पहुँच  सकते है।

हवाई मार्ग  – देहरादून  जॉलीग्रांट एयरपोर्ट  (२३५  किलो मीटर ) 

रेल मार्ग  – हरिद्वार रेलवे स्टेशन  (२१६  किलो मीटर)

चारधाम का चौथा पड़ाव बद्रीनाथ

chardham by helicopterसमुतल से ३१३३ मीटरकी  ऊंचाई पर बद्रीनाथ मंदिर  चमोली जनपद के अलकनंदा नदी  के तट पर स्तिथ  है। हिन्दू धर्म  का यह पौराणिक मंदिर  भगवान विष्णु  को समर्पित है जो भारत के चार धामों में  से एक है। बद्रीनाथ  धाम में  “बद्री नारायण” की  पूजा की  जाती है, और यह चार-धाम यात्रा (chardham yatra 2020)  का अंतिम  पड़ाव है। बद्रीनाथ धाम तक मोटर मार्ग  जाता है इसलए यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग  – देहरादून  जॉलीग्रांट एयरपोर्ट  (३११ किलो मीटर ) 

रेल माग – हरिद्वार रेलवे स्टेशन  (३१८ किलो मीटर )

चार-धाम कब जाएं?

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यूँ तो चार-धाम यात्रा  (Chardham yatra 2020) का समय अप्रैल-मई से अक्तूबर -नवबंर तक रहता है। लेकन सबसे अधक यात्री  मई-जून और सितम्बर -अक्तूबर में  आते है , यही चारधाम यात्रा का सबसे उचित  समय है। हिमालय  के प्राकृतिक सौंदर्य को अपनी धार्मिक  आस्था  से जोड़ कर रखिए  और आनंद की अनुभूति कीजिये।

कैसे जाएं चार-धाम?

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किसी  भी यात्रा  पर जाने से पहले उसके बारे में अध्ययन जरूर करें । चार-धाम यात्रा (Chardham Yatra 2020) का सबसे सुविधाजनक  तरीका है किसी सही टूर ऑपरेटर के द्वारा  पैकेज लेकर जाना। बड़ी संख्या में यात्रियों  के आने से होटल/धर्मशाला /कैम्प आदि में जगह नहीं मिल  पाती। इस समस्या  से बचने के लए किसी सही टूर ऑपरेटर से पैकेज लेना ही सबसे सुविधाजनक तरीका है।

चार-धाम यात्रा के दौरान इन बातों का रखें ख्याल

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१- शारीरिक रूप  से फटनेस जरुरी  है, अतः यात्रा  पर जाने से पहले मेडिकल  जांच करवा लें ।

२- अपनी दवाईयां साथ लेकर चलें ।

३- बरसात के दिनों में यात्रा पर न निकलें ।

४- सभी बुकिंग प्रक्रिया  पहले ही पूरी कर लें ।

५-सुविधाजनक यातर  के लिए एक अच्छे टूर ऑपरेटर से संपर्क करें ।

६- गर्म  एवं ऊनी कपड़े साथ लाएं।

७-यात्रा के दौरान शराब व मांस का प्रयोग  न कर।

८-चारधाम यात्रा  के दौरान, बेहतर तैयारियों  के साथ उत्तराखंड आइए ताकि  आपकी यात्रा सुखद याद के रूप में  हमेशा साथ रहे।

तो चलिए  इस यात्रा  पर हमारे साथ, पृथ्वी  से स्वर्ग का मिलान देखिये !!!!!!!!

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